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जिद्दी बच्चे के साथ कैसा हो माता पिता का व्यवहार

जिद्दी बच्चे के साथ कैसा हो माता पिता का व्यवहार


 जिद्दी बच्चे के साथ कैसा हो माता पिता का व्यवहार


पहले संयुक्त परिवार हुआ करता था, बच्चों के पास खेलने और अपनी बातों के बताने के लिए बहुत सारे विकल्प होते थे बड़े बच्चों से घर में ही अनुशान शेयर करने की आदत सीख लेते थे या उनकी बातें अगर माता-पिता नहीं सुनते थे तो दादा दादी नाना नानी चाचा चाची या मामा मौसी से शेयर कर लेते थे अब एकल परिवार और सिंगल परिवार ज्यादातर हो चुके हैं। माँ बाप के पास बच्चे रहें या ना रहें बच्चों बच्चों के इर्द गिर्द उनकी धुरी हो जाती है। उनके आंगन के पहले ही उन्हें सारी सुविधाए दे दी जाती है। हर चीज टर्म कंडीशन से शुरू हो जाता है आज 90 प्रतिशत लाओगे तो साईकिल आ जायेगा थोड़े बड़े बच्चे हैं, तो फोन,स्कूटी बच्चों का बिना मेहनत वो सारी चीजों मिल जाती है जिसकी उन्हें जरूरत नहीं होती हे। उन्हें पता होता है कि वो जो चाहें पा सकते हैं। वैसे तो बच्चा और बचपन शब्द से ही लगता है नटखटपन शरारती चुलबुलापन,यहीं तो बचपन है लेकिन यह चुलबुलापन कब मनमानी करने लगे सही गलत में फर्क ना समझे और अपनी बात मनवाने के लिए जीद करने लगे तो माँ बाप का भी गुस्सा आ जाता है,लेकिन यही पर हम गलत होते हैं धैर्य खो देते है। यही समय है जब हमें धैर्य सहानुभूति और सही दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है।माता-पिता शुरू तो करते हैं बच्चे की हर जीद पुरी करने की चाहें उनकी औकात हो या नहीं लेकिन जब यही बच्चें अपनी जीद को मनमाने के लिए किसी हद तक चल जाते हैं, तोड़ फोड़, खाना, नहीं खाना, चिल्लाना पढ़ाई नहीं करना चिल्लाना पढ़ाई नहीं करना तो माता-पिता के लिए चिन्ता का विषय हो जाता है और अकसर माता-पिता आपा खो देते हैं और अन्य बच्चों से तुलना करने लगते हैं,बता इतनी बिगड़ जाती है कि वे तो बच्चों पर हाथ उठा दते हैं लेकिन बच्चे भी अब बर्दास्त नहीं करते कभी-कभी तो शर्मनाक शब्दों के साथ तोड़-फोड़ भी कर देते हैं।बच्चा जीद कर रहा है, तो धैर्य से समझने की कोशिश करें कि आखिल ऐसा क्यों कर रहा है, उनके साथ बात करें हो सकता उस समय इतना जीद कर रहा हो कि आपसे बात करने की स्थिति ना हो पर आप उस समय संयम से काम लें। उसे जिद्ध का कारण समझने की कोशिश करें, ना कि उस समय उसे आदेश दें। उसकी पुरी बातों को सुनें शान्त रहें और बीच में टोकने से भी बचे। उनकी भावनाओं को भी समझें बच्चे चाहे कितने जिद्दी हाते हैं लेकिन जब उन्हें लगता है उनकी भावनाओं को माँ-पिता समझ रहे है तो वह जरूर सहयोग करते हैं।

अकसर हम बच्चों को सुधारना चाहते हैं पर अपनी आदतों एवं गलत व्यवहार पर अंकुश नहीं लगाते। जब घर का माहौल तनावपूर्ण रहता है, एक दूसरे के बीच सांमजस्य नहीं होती है तो अकसर बच्चे ध्यान आमंत्रित करने के लिए इस तरह की हरकते करते हैं। अगर फोन चलाने या टी०वी० देखने की जीद करता है तो पहले आप भी कम से कम फोन का इस्तेमाल करें खूद को नियंत्रित रखें, आपस में लड़ाई झगड़ा या आरोप प्रत्यारोप करने से उनका मनोबल बढ़ता है।बच्चों को समय दें सही गलत के फर्क के साथ घर की जिम्मेदारी दें, कभी-कभी घर के खर्च के हिसाब में उन्हें शामिल करें और बताए पैसे और चीजों की अहमियत क्या है और कैसे जरूरत की चीजों को वे शामिल करें उससे उनके अन्दर जिम्मेदवारी के साथ-साथ यह एहसास भी होगा कि वे सभी घर का एक खास सदस्य है और उसकी अनुमती भी खास महत्व रखती है इससे बच्चे बेकार की चीजों के लिए जीद खूद व खूद नहीं करेंगे।बचपन से बच्चों को बड़ों की इज्जत करने और छोटों को प्यार करना सीखाए ताकि गलत हरकत की आदत ही पनपना पाए।कुछ जिद्द कारणों को समझ कर उसकी नींद से निजात पाया जा सकता है। घर में नए बच्चे के आने पर बड़े बच्चों से प्यार में कमी ना लाए उसे जिम्मेदारी दे कि वो छोटे माई-बहन को उसे ही देखना है। उनकी सीमाओं का भी एहसास कराए। उसकी कभी को समझे उसका मजाक ना बनाए इससे बच्चे असुरक्षा, हीनभावना की वजह से जिद्द कर लोगों का ध्यान आक्रषित करता है मतलब उसकी भावनात्मक समस्या भी जिद्दी बनाने की वजह हो सकती है इस सब कारणों से बच्चे जिद्दी व्यवहार करके ध्यान आकर्षित जिद्द की कोशिश कर सकते हैं।

कभी-कभी बच्चों को स्वतन्त्रता दे स्पेस दें, हमेशा सिर पर चढ़ रहना जैसे उठों, पढ़ों, जल्दी खाना खालों के लिए बार-बार दबाव बनाने से बचें। उनके सामने अपने गुस्सा पर नियंत्रण रखें।याद रखें बच्चों के चिड़चिड़ापन और जिद्दीपन के के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे असुविधा, नींद की कमी, भूख शारीरिक और मानसिक दबाव। माता-पिता देखें कि बच्चों को कैसे उसके शारीरिक मानसिक दबाव को कम किया जा सकता है उसे प्यार दुलार दे साथ ही उसके मन लाचूक गतिविधि में व्यस्त रखें। उसके दोस्तों को घर बुलाए उसे स्पेस दें। कभी कभी साथ घुमने-फिरने ले जाए अगर फिर भी आप का बच्चा जिद्द नहीं छोड़ता और उसकी वजह से घर का माहौल खराब हो रहा है या दूसरे भाई बहन पर नाकारात्मक असर पड़ने लगा हो तो जरूर उसकी मनोवैज्ञानिक परामर्श ले ।

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