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न किया गया।            शूरवीर महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त व कृतित्व से अवगत

न किया गया। शूरवीर महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त व कृतित्व से अवगत

प्रकाशनार्थ 
महाराणा प्रताप की मनी जयंती/ जयंती पर महाराणा प्रताप को किया नमन
                  
           पटना,  भारतीय आन-वान-शान के महानायक महाराणा प्रताप का नाम भारतीय इतिहास में बड़े ही आदर से लिया जाता है। अपनी तलवार से दुश्मनों को एक झटके में घोड़े सहित दो टुकड़े करने वाले, वीरों के वीर महावीर महाराणा प्रताप की जयंती सहायक शिक्षक सूर्य कान्त गुप्ता के द्वारा राजकीयकृत नवसृजित प्राथमिक विद्यालय दादरमंडी, गुलजारबाग, पटना में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई व नमन किया गया। 
          शूरवीर महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त व कृतित्व से अवगत कराते हुए श्री गुप्ता ने छात्र-छात्राओं को बताया कि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ई. में राजस्थान के राजसमंद जिला के कुंभलगढ़ किले में हुआ था। इनकी माता का नाम जयवंता बाई तथा पिता का नाम राणा उदय सिंह था। महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13 वें राजा बने। मुगल सम्राट अकबर ने उन्हें अपनी अधीनता स्वीकार करने को कहा। महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की तथा 1576 ई. में हल्दीघाटी का युद्ध किया। उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। महाराणा प्रताप के ढाल-तलवार का वजन 208 किलो था। उनके घोड़े का नाम चेतक था। इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण के लिए हमेशा उन्हें याद किया जाता रहेगा। हमें उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत है।

             जयंती कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान शिक्षक जितेंद्र कुमार एवं शिक्षिका दीपांजलि रानी का  योगदान सराहनीय रहा।


 

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