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जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज स्वास्थ्य विभाग की जिला-स्तरीय समीक्षात्मक बैठक की गयी

जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज स्वास्थ्य विभाग की जिला-स्तरीय समीक्षात्मक बैठक की गयी


जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज स्वास्थ्य विभाग की जिला-स्तरीय समीक्षात्मक बैठक की गयी। इसमें उन्होंने मुख्य मानकों पर जिला की प्रगति का जायजा लिया। समीक्षा में पाया गया कि अगस्त, 2023 की तुलना में सितम्बर, 2023 में हर एक इंडिकेटर में प्रगति हुई है। एएनसी के लिए निबंधित गर्भवती महिलाओं की संख्या में लक्ष्य के विरूद्ध उपलब्धि 87 प्रतिशत से बढ़कर 123 प्रतिशत हो गयी है।


कुल निबंधित एएनसी में प्रथम तिमाही में निबंधन की संख्या 38 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत तथा चार या अधिक एएनसी प्राप्त गर्भवती महिलाओं की संख्या 39 प्रतिशत से बढ़कर 63 प्रतिशत हो गयी है। संस्थागत प्रसव की संख्या में उपलब्धि अगस्त में 56 प्रतिशत थी जो सितम्बर में 61 प्रतिशत हो गई है। 180 आयरन फोलिक एसिड फुल कोर्स प्राप्त गर्भवती महिलाओं की संख्या में उपलब्धि 89 प्रतिशत से बढ़कर 124 प्रतिशत हो गई है जबकि 360 कैल्सियम टैबलेट फुल कोर्स प्राप्त गर्भवती महिलाओं की संख्या में उपलब्धि 85 प्रतिशत से बढ़कर 127 प्रतिशत हो गई है। ओपीडी में उपलब्धि सितम्बर में 70 प्रतिशत है जबकि आईपीडी (मध्य रात्रि में इन-पेशेंट हेडकाउण्ट) 14 प्रतिशत है। एचबीएनसी कवरेज में प्रगति 39 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत हुई है। परिवार नियोजन (मिनिलैप, पीपीएस, एनएसवी) में प्रगति 14 प्रतिशत से बढ़कर 51 प्रतिशत तथा आईयूसीडी/पीपीआईयूसीडी इन्सर्सन यह 27 प्रतिशत से बढ़कर 41 प्रतिशत हो गई है। जिलाधिकारी द्वारा स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित मुख्य इंडिकेटर्स में ज़िला में उत्तरोत्तर प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को लक्ष्य के अनुसार उपलब्धि प्राप्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहने का निदेश दिया गया। 


जिलाधिकारी द्वारा सिविल सर्जन को निदेश दिया गया कि जिन प्रखंडों में प्रगति अच्छी नहीं हैं वहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वयं जाकर समीक्षा करें तथा निर्धारित मानकों के अनुसार प्रगति लाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि संस्थागत प्रसव में सुधार के लिए विशेष प्रयास करें। अगस्त एवं सितम्बर महीने में चार एएनसी के कुल योग 13,199 के विरूद्ध कुल प्रसव 11,456 है। जिलाधिकारी ने इसमें तुरत सुधार लाने का निदेश देते हुए कहा कि चार एएनसी बनाम प्रसव के आँकडों में कोई मिसमैच (विसंगति) नहीं रहनी चाहिए।


डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि जिला में डेंगू के प्रसार पर नियंत्रण के लिए सभी प्रकार की निरोधात्मक एवं सतर्कतामूलक कार्रवाई की जा रही है। नियमित तौर पर फॉगिंग, टेक्निकल मालाथियोन तथा टेमीफॉस का छिड़काव किया जा रहा है। पैनिक की कोई स्थिति नहीं है। प्रतिदिन औसतन 150 मामले आ रहे हैं। अस्पतालों में इलाज की पर्याप्त व्यवस्था है। किसी को भी प्लेटलेट्स की आवश्यकता नहीं पड़ती है। उन्होंने डेंगू एवं चिकनगुनिया पर नियंत्रण के लिए गाँव-गाँव में जागरूकता अभियान चलाने तथा संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित करने का निदेश दिया। 


अगस्त एवं सितम्बर माह में ई-संजीवनी टेलीकन्सल्टेशन में पंजीकृत हब से 98,093 परामर्श प्रदान किया गया। डीएम डॉ. सिंह ने नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण परामर्श की सेवा सुनिश्चित करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि पटना जिला को जनवरी से जून, 2023 की अवधि में सबसे अधिक टेलीकन्सल्टेशन करने के लिए राज्य में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था। सभी चिकित्सकों को लगातार प्रयत्नशील रहना पडेगा। सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी टेलीकन्सल्टेशन में प्रगति लाने के लिए प्रयासरत रहें।  


डीएम डॉ. सिंह द्वारा उप विकास आयुक्त को आशा कार्यकर्ताओं की रिक्तियों के विरूद्ध चयन हेतु नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करने का निदेश दिया। वर्तमान में इसमें 3,461 के लक्ष्य के विरूद्ध 3,311 का चयन किया गया है। रिक्ति 150 है।


जिलाधिकारी द्वारा सिविल सर्जन को अश्विन पोर्टल पर विभिन्न स्तरों यथा एएनएम, बीसीएम तथा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के स्तर पर दर्ज आंकड़ों की वेरिफिकेशन एक्टिविटी का मासिक अनुश्रवण करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि ऑटो वेरिफिकेशन की स्थिति में दोषियों के विरूद्ध स्पष्टीकरण करें कि क्यों नहीं उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाए तथा उनका वेतन स्थगित रखी जाए/मानदेय में कटौती की जाए।  


मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे 110 बच्चों का निःशुल्क ऑपरेशन-उपचार किया गया। 


राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अन्तर्गत जिला के विभिन्न प्रखंडों में 35 चलंत चिकित्सा दल सक्रिय है। इसके द्वारा विद्यालयों में 21,336 तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों में 20,529 बच्चों की जाँच की गई है। प्रतिदिन प्रति दल जाँचे गए बच्चों का औसत 63.96 है। पीएचसी पर जन्मे 3,622 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 7 बच्चे डिफेक्ट ऐक्ट बर्थ पाये गए। 


डीएम डॉ. सिंह ने जननी बाल सुरक्षा योजना (जेबीएसवाई) में प्रगति की समीक्षा की। इसमें पाया गया कि वर्तमान में बैकलॉग 12,314 है। इसमें पिछले साल के बैकलॉग की संख्या 6,447 तथा इस वित्तीय वर्ष का बैकलॉग 5,867 है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 15,984 का भुगतान किया गया है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 8,348 बैकलॉग का भुगतान किया गया था। जिलाधिकारी ने बैकलॉग की अधिक संख्या पर गंभीर रोष व्यक्त करते हुए उप विकास आयुक्त को इसके लिए दोषियों के विरूद्ध जिम्मेदारी निर्धारित कर सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रस्ताव समर्पित करने का निदेश दिया। उन्होंने सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के नियंत्री पदाधिकारियों को निदेशित करते हुए कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रसव के विरूद्ध जेबीएसवाई के अन्तर्गत डेली बेसिस पर भुगतान करें तथा इसे शत-प्रतिशत अद्यतन रखें। पुराने बैकलॉग को भी शीघ्र खत्म करें। 


डीएम डॉ. सिंह ने सिविल सर्जन को स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों तथा कर्मियों की समय से उपस्थिति सुनिश्चित करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सीसीटीवी क्रियाशील रहना चाहिए तथा निर्धारित समय तक डाटा बैकअप रहना चाहिए।  


डीएम डॉ. सिंह ने सभी प्रभारी चिकित्सको को अपने-अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का मानकों के अनुसार संचालन सुनिश्चित करने का निदेश दिया। सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को औषधियों की गुणवत्ता को अक्षुण्ण बनाए रखने के उद्देश्य से निर्धारित तापक्रम एवं अनुशंसित भण्डारण शर्तों के अनुरूप भण्डारण करने का निदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि स्टोरकीपर  एवं फार्मासिस्ट इसके लिए जिम्मेदार होंगे। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि जिला स्तर से गठित जाँच दलों द्वारा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की जाँच करायी जाएगी। उप विकास आयुक्त इसका अनुश्रवण करेंगे। 


पूर्व के निरीक्षण में पाया गया था कि खुशरूपुर, सम्पतचक, मनेर, बाढ़ एवं पुनपुन पीएचसी; रेफरल हॉस्पिटल मोकामा, सीएचसी बख्तियारपुर, हेल्थ एवं वेलनेस सेन्टर गोपालपुर, सम्पतचक तथा शहरी पीएचसी आलमगंज का रख-रखाव मानकों के अनुरूप नहीं किया जा रहा था तथा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा कार्य में कोई रूचि नहीं ली जा रही है। डीएम डॉ. सिंह द्वारा मानकों के अनुसार पीएचसी एवं अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन नहीं करने वाले इन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण करने का निदेश दिया है।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि सघन मिशन इन्द्रधनुष 5.0 के सत्रों से अनुपस्थित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों तथा प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधकों से स्पष्टीकरण कर उनका वेतन अवरूद्ध रखा जाएगा।

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