-->

मीरा की कविताएं सामाजिक सरोकार की रचनाएं हैं - प्रो राम वचन राय

मीरा की कविताएं सामाजिक सरोकार की रचनाएं हैं - प्रो राम वचन राय


" मीरा की कविताएं सामाजिक सरोकार की रचनाएं हैं - प्रो राम वचन राय "

            रावण , दुःशासन , जयद्रथों की भीड़ में / मैं अकेली नहीं ! / ' मैं ' ही मेरा अस्त्र शस्त्र/ ' मैं ' ही मेरा संबल/ ' मैं' ही मेरा प्रतिवाद/ प्रतिकार तर्जनी संकेत मेरा / अकेली कहाँ मैं ? - कवयित्री मीरा श्रीवास्तव की सद्यःप्रकाशित काव्य संग्रह ' पत्थर पर उकेरी इबारत ' की ये पंक्तियाँ संग्रह के प्रतिपाद्य को पूरी तरह स्पष्ट करती हैं । देशज पत्रिका के बैनर तले संग्रह का विमोचन खादी माॅल में अनेक विद्वत्जनों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। स्वागतीय भाषण पूर्व जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष वीर कुँवर सिंह वि वि - प्रो. सुरेश श्रीवास्तव ने किया एवं मंच संचालनदेशजपत्रिका संपादक सुनाम विख्यात कवि समालोचक अरुणशीतांश ने किया ।विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध समालोचक पूर्व प्राध्यापक  पटना वि वि , पूर्व सदस्य बिहार विधान परिषद ने की । मंचासीन विद्वानों में भगवती प्रसाद द्विवेदी , अनिल विभाकर भूतपूर्व संपादक जनसत्ता , भावना शेखर सुप्रतिष्ठित कवयित्री भावना शेखर , पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष भागलपुर विश्वविद्यालय- प्रो अरविंद कुमार थे । 

            भावना शेखर ने अपने वक्तव्य में विस्तार से कवयित्री की कविताओं पर चर्चा की करते हुए शिल्प , भाषा एवं विषय वैविध्य की सोदाहरण प्रशंसा की । भगवती प्रसाद जी ने कविताओं में निहित नारी विमर्श एवं स्त्रियों के जीवन से जुड़ी विडंबनाओं की अभिव्यक्तियों में प्रयुक्त मार्मिकता का उल्लेख किया जो रचनाओं को सशक्तता प्रदान करता है ।

अनिल विभाकर जी ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में ' अनंग देह विदेह मन ' कविता का उल्लेख करते कहा कि नारी का अपने पुरुष से प्रेम में अनुकूलता की प्रत्याशा इस कविता का सौंदर्य है ।

            प्रो.अरविंद कुमार ने कवयित्री के पूर्व प्रकाशित संग्रह ' ऊनी शाॅल ' एवं ' पत्थर पर उकेरी इबारत ' की कविताओं का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए इन ताजी कविताओं की भाषा , शिल्प  , भाव , बिम्ब प्रयोग में आई परिपक्वता से रचनाओं में आई सशक्तता की प्रशंसा की ।

         मीरा श्रीवास्तव ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया ।

           अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो राम वचन राय ने उपस्थित श्रोताओं की अप्रत्याशित अधिक संख्या पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए  कहा कि काव्य की रचना अधिक से अधिक करते जाना रचनाकार का अभीष्ट नहीं होना चाहिए बल्कि रचना पठनीय और प्रशंसनीय हो यही रचनाकार की सृजन की सार्थकता है । अर्नेस्ट हेमिंग्वे का उदाहरण प्रस्तुत कर उन्होंने अपने वक्तव्य को सत्यापित किया ।

           कार्यक्रम का समापन अविनाश सहाय अंग्रेजी शिक्षक आरा डी ए वी ने अपने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया जिसमें देवरिया से आए कवि , समीक्षक वेद प्रकाश तिवारी जी का विशेष आभार व्यक्त किया ।

             सभागार में उपस्थित कवयित्रियों मे सौम्या सुमन , सुनीता गुप्ता , आकांक्षा तिवारी , आराधना प्रसाद  , लता पराशर , श्वेता , दिव्या श्री , निधि राज , पूनम श्री , वीणा अमृत , मीरा मिश्रा , विद्या जी , ऋचा वर्माआदि उपस्थित रहीं । अन्य साहित्यिक विद्वानों में -प्रसिद्ध कवि साहित्यकार मधुरेश , अनिरुध्द सिन्हा , सजय कुमार कुंदन, नसीम साहब ,अरुणकुमार - ग़ज़लकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

0 Response to "मीरा की कविताएं सामाजिक सरोकार की रचनाएं हैं - प्रो राम वचन राय"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article